कहानी आसपास बिखरी:   `65 साल बूढ़ी आज़ादी, और भारत की बर्बादी’
हंस-हंसिनी और उल्लू

एक बार की बात है, एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए एक उजड़े, वीरान इलाके में जा पहुंचे.

हंसिनी ने हंस से कहा, ‘हम किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं? यहाँ तो जीना भी मुश्किल है.’

भटकते-भटकते शाम हो गयी. हंस ने हंसिनी से कहा, ‘प्रिये, किसी तरह आज की रात यहीं बिता लेते है, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे.’

हंस और हंसिनी जिस पेड़ के नीचे ठहरे थे, उस पर एक उल्लू भी बैठा था. आधी रात होते ही उल्लू जोर-जोर से चिल्लाने लगा.

हंसिनी ने हंस से कहा, ‘अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते, ये उल्लू इसी पेड़ पर बैठा चिल्ला रहा है.’

इस पर हंस ने हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही. पेड़ पर बैठा उल्लू भी दोनों की बात सुन रहा था.

सुबह हुई, उल्लू नीचे आया, और बोला, ‘हंस भाई, मेरी वजह से रात में आपको तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो.’

हंस ने कहा, `कोई बात नहीं भैया, आपका धन्यवाद.’

यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से उल्लू चिल्लाया, `अरे देखो वह हंस मेरी पत्नी को भगाकर लिये जा रहा है.’

यह सुनकर हंस चौंका. वह रुका और उसने उल्लू से पूछा, `आपकी पत्नी? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, और मेरे साथ जा रही है. ’

इस पर उल्लू ने कहा, `खामोश, यह मेरी पत्नी है.’

और दोनों झगड़ने लगे. दोनों के बीच विवाद बढ़ गया. उस इलाके में बच रहे इक्के-दुक्के अन्य पशु-पक्षी भी इक्कठा हो गये. पंचायत बुलाई ली गयी. सरपच और पंच भी आ गये. मामला न्याय पंचायत में पेश हुआ. हंस हंसिनी को अपनी पत्नी बतला रहा था तो उल्लू अपनी पत्नी.

न्याय पंचायत ने हंस और उल्लू के बयान सुने. फिर सरपंच और पंचों ने आपस में मंत्रणा की-बात तो सही है यही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे. हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है. इसलिए फैसला उल्लू के पक्ष में ही देना चाहिये. न्याय पंचायत ने अपना फैसला सुनाया-सारे तथ्य व बयानों के आधार पर पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि यह हंसिनी उल्लू की पत्नी है.

न्याय पंचायत का फैसला सुनकर हंस हैरान था. वह रोने, चीखने, चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला गलत है. वह इसी हाल में हरिद्वार की ओर उड़ चला.

उल्लू ने हंस को आवाज देकर रोका. हंस ने रोते हुए कहा, `भैया, मेरी पत्नी तो तुमने ले ही ली है, अब और क्या लेने का इरादा है?’

इस पर उल्लू बोला, `मित्र, हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी, लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है. मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है. यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे सरपंच और पंच/ नैतिक पतित पशु-पक्षी रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं / जिन्हें सही और गलत का विवेक नहीं है.’

हंस को उस क्षेत्र के उजाड़ होने का सही बोध हो गया था. उल्लू ने हंसिनी को मुक्त कर दिया. हंस हंसिनी को लेकर अपने गन्तव्य की ओर उड़ चला.



Note: Pictures are Demo/ Symbolic to make the article interesting.

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