अध्यातम:   `आज 24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का मोक्ष कल्याणक है’

आज 28 अक्तूबर, 2019, सोमवार जैन तिथि दर्पण के अनुसार तिथि: कार्तिक बदी 30, वीर निर्वाण संवत 2545 है, और 24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का मोक्ष कल्याणक है।

जैन धर्म के अनुयायी दीपावली का त्योहार भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के उपलक्ष्य में ही मनाते हैं। अत: दीपावली आज ही है लेकिन कुछ जगह दीपावली 27 अक्तूबर को मनाई गयी है। निर्वाण का लड्डू तो जैन मंदिरों में 28 अक्तूबर को ही चढ़ना चाहिए।

भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के कुण्डलपुर में इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ चैत्र शुक्ल तेरस को हुआ था। ग्रंथों के अनुसार उनके जन्म के बाद राज्य में उन्नति होने से उनका नाम वर्धमान रखा गया था। जैन ग्रंथ उत्तरपुराण में वर्धमान, वीर, अतिवीर, महावीर और सन्मति ऐसे पांच नामों का उल्लेख है। इन सब नामों के साथ कोई न कोई कथा जुडी है। जैन ग्रंथों के अनुसार, 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद इनका जन्म हुआ था। दिगम्बर परम्परा के अनुसार भगवान महावीर स्वामी बाल ब्रह्मचारी थे।

इनके शरीर का वर्ण स्वर्ण, लम्बाई 6 फीट (7 हाथ) बतलाई जाती है। जैन धर्मावलंबियों के अनुसार भगवान का प्रतीक चिह्न- सिंह, चैत्यवृक्ष-शाल, यक्ष- मातंग, यक्षिणी- सिद्धायिका थी।

जैन धर्मावलंबियों के अनुसार वर्तमान चौबीसी के बीस तीर्थंकरों का निर्वाण यानि मोक्ष गमन श्री सम्मेद शिखर जी से हुआ है। शेष चार तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि

1.प्रथम जैन तीर्थंकर ऋभदेव की निर्वाण/ शिव स्थली, एशिया का पावन पर्वत कैलास- अष्टापद है।
2.12वें जैन तीर्थंकर वासुपूज्य भगवान की निर्वाण भूमि चम्पापुर, बिहार है।
3.22वें जैन तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की निर्वाण भूमि गिरनार जी, गुजरात है।
4.24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर की निर्वाण स्थली पावापुरी/ पावानगरहै।

चिन्ह: सिंह
24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी


      
बिहार के पावापुरी सिद्ध क्षेत्र का मानचित्र एवं रुट मैप


                              
बिहार के पावापुरी सिद्ध क्षेत्र के मुख्य द्वार व जल मन्दिर के मनमोहक दृश्य:


                  
उत्तर प्रदेश के पावानगर/ फ़ाज़िलनगर सिद्ध क्षेत्र का मानचित्र एवं रुट मैप


                
उत्तर प्रदेश के पावानगर/ फ़ाज़िलनगर सिद्ध क्षेत्र के मन्दिर के मनमोहक दृश्य:

विभिन्न साहित्य में और प्रचलित परंपरा के अनुसार भगवान महावीर का निर्वाण पावापुरी/ पावानगर में हुआ था. वह पावा बिहार के जिले नालंदा में है कि उत्तर प्रदेश के जिले कुशीनगर के फाज़िलनगर/ पावानगर में हैं इस पर विद्वान एक मत नहीं है. हम यहाँ दोनों ही स्थानों का संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं:

भगवान महावीर के निर्वाण स्थान के रूप में बिहार प्रदेश के नालंदा जिले की पावापुरी भी प्रसिद्ध स्थान है. यह स्थान पटना से 95 किलोमीटर, बिहारशरीफ़ से 12 किलोमीटर, कुंडलपुर से 24 किलोमीटर और राजगीर से 40 किलोमीटर की दूरी पर है. यहाँ ठहरने और खाने की व्यवस्था सिद्ध क्षेत्र पर है, जिनके संपर्क मोबाइल नंबर यहाँ दिए जा रहे हैं. यहाँ पावापुरी के रुट मॅप और लोकेशन चार्ट ऊपर दिये गये हैं.
मोबाइल: 09931228733, 09006561904

फाज़िलनगर उत्तर प्रदेश के जिले कुशीनगर में राष्ट्रीय महामार्ग-28 (NH-28) अवस्थित है. यह कस्बा गोरखपुर से 71 किलोमीटर, और कुशीनगर से 22 किलोमीटर है. कुछ विद्वानों का ऐसा कहना है कि फाजिलनगर ही प्राचीन पावानगर है जहाँ भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था.

फ़ज़िलनगर जैन और बौद्ध दोनों ही संप्रदायों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है.

फ़ज़िलनगर/ पावानगर में जैन मंदिर और भगवान महावीर के नाम पर एक इंटर कॉलेज भी हैं. यहाँ ठहरने की व्यवस्था सिद्ध क्षेत्र पर है, जिनके संपर्क मोबाइल नंबर यहाँ दिए जा रहे हैं. यहाँ पावानगर के रुट मॅप और लोकेशन चार्ट ऊपर दिये गये हैं.
फोन: 05564-266493

किसी भी पर्व के मनाने का उद्देश्य मन, वचन और काय से मंगल भावना भाना है ताकि हम भी कर्मों से मुक्त हो सके और मोक्ष प्राप्त कर सकें।

मन, वचन, काय से,
ऐसी भावना भाइये,
कर्म-बन्ध से छूटकर,
मोक्ष धाम पाइये।

श्री सम्मेद शिखर जी में भी 26वीं टोंक भगवान महावीर स्वामी की है. वहाँ भी श्रद्धालु लोग निर्वाण कल्याणक मनाते हैं.

टोंक/ कूट नंबर: 26वीं कूट (श्री भगवान महावीर स्वामी)

दोहा

महावीर जिन सिद्ध भए,
पावापुर से जोय।
मन वच तन कर पूजहूँ,
शिखर नमूं पद दोय।।


श्री कैलास-अष्टापद व श्री सम्मेद शिखरजी के लिए क्लिक करें:
1. प्रथम जैन तीर्थंकर ऋभदेव की निर्वाण स्थली कैलास-अष्टापद (तिब्बत-चीन)
2. बीस जैन तीर्थंकरों की निर्वाण स्थली, श्री सम्मेद शिखरजी (झारखंड)
3. 12वें जैन तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की पंच कल्याणक भूमि चम्पापुर (बिहार)
4. 22वें जैन तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की निर्वाण भूमि गिरनार जी (गुजरात)

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