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हे मनुष्य,

आप विधाता की श्रेष्ट कृति हैं.

जीवन में समस्या जीवन का अभिन्न अंग हैं. जीवन में समस्या न हों तो जीवन ऐसा है जैसे कि बिना नमक के सब्जी.

संसार में अभी तक ऐसा एक भी उदाहरण नहीं होगा जबकि किसी समस्या का समाधान न हुआ हो. यानि कि हर समस्या का समाधान होता है. समस्याएँ हमेशा समाधान के साथ उत्पन्न होती हैं.

बिना समस्या के जीवन नीरस होता है. जो लोग समस्या रहित जीवन की कल्पना करते हैं वें अज्ञानी होते हैं. समस्या का आते रहना, उसका निराकरण करने के लिए तत्पर रहना, निराकरण करने के लिए उद्यत रहने वाला मनुष्य जीवट का मनुष्य होता है. ऐसे मनुष्य प्रतिभा के धनी होते हैं.

समस्याएँ फसल की तरह होती हैं. उसे बोना, काटना और उससे उपयोगी पदार्थ प्राप्त कर लेना ही जीवन है. साधन होते हुए भी खेती न करने वाला कृषक अभागा होता है. उसकी ज़मीन कल्लर/बंज़र हो जाती है. अत: समस्याओं की फसल बोना और समाधान के रूप में काटना जीवन का अभिन्न अंग है. समस्याएँ जीवन में अमूल्य निधि देती हैं.

अनेकांत दृष्टि से न देखे तो मुर्दे ही समस्या रहित होते है. अकर्मण्य मनुष्य ही समस्या रहित जीवन जीने की कल्पना करता है, और इसका परिणाम यह होता है कि उसका जीवन दिन- प्रतिदिन समस्याओं से घिरता चला जाता है. वह त्रस्त हो जाता है. उसे मृग तृष्णा का सामना करना पड़ता है. उसका अन्त: बड़ा दु:खद होता है.

किंतु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि ज़बरदस्ती समस्याओं को invite कर लिया जाए. There must be free flow of problems.

अत: यह आवश्यक है कि मनुष्य यह जान ले कि समस्या के बिना कोई जीवन नहीं होता है. वह समस्याओं का आना नहीं रोक सकता है. प्रत्येक समस्या का एक परम (absolute) समाधान होता है. अत: मनुष्य का कर्तव्य है कि कर्मठ बने, धैर्यवान बने. आयी समस्या का न्यूनतम समय में परम (absolute) समाधान ढूढ़ निकाले.

आप सोचेंगे कि हमारा यहाँ समोसे को दर्शाने का क्या उद्देश्य है? लो पहिले हम आपको समोसे की अपनी कहानी ही बतला दे:

एक बार की बात है की आटा महीन पीस गया. सूखे आलू की सब्जी में भूलवश मिर्च कुछ ज़्यादा ही डल गयी. चतुर ग्रहणी ज़रा भी विचलित नहीं हुई, और इस घटना से उसने चटपटे व्यंजन समोसे की उत्पत्ति कर डाली, सहज ही समस्या का समाधान कर दिया. जहाँ चटपटें व्यंजन खाए जाते हैं, समोसा वहाँ का एक प्रसिद्ध व्यंजन है.

हमारा आपको यही सुझाव है कि समस्या का समोसा बनाना सीखें. आप कर्मठ बनें, सत्यवृत्ति के बनें. यहाँ इस कहानी को लिखने का यही उद्देश्य है. हमारा उद्देश्य है कि आप काले बादल की तरह केवल गर्जना ही न सीखें, भूरे बादल की तरह बरसाना सीखें. विचारों को कर्म में बदलना सीखें.

सामान्यत:

We repent for past (हम बीत गये के लिए पछताते रहते हैं), worried for future (भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं), but don’t have any time to think about present (लेकिन वर्तमान के लिए समय नहीं है).

So we advice you: Learn from past, think about future and enjoy present (इसलिए हमारी सलाह है कि भूतकाल से सीखें, भविष्य के विषय में सोचें और वर्तमान का आनंद लें यानी कि हँसी-खुशी से बिताएँ).

`कर्मठ'

घूघंट में छुपा भवितव्य,
उझक-उझक कर झांकना,
खुले हुए अंगों से, सौन्दर्य नापना,
जीने का साधन है,
जीने की लालसा, कर्तव्यनिष्ठ बना देती है,
कर्तव्य निष्ठा का सदैव, इष्ट परिणाम होता है,
जो विचारों को, कर्म में न बदल सके,
अम्बर का श्याम, मेघ होता है.


हम चाहते हैं कि आपके अंदर ऐसी प्रवृति का प्रादुर्भाव हो कि आप समस्याओं के समाधान करने को सहज लें, एन्जॉय करें. जटिल से जलित समस्या को स्पोर्ट्समैन स्पिरिट में लें और उसे धुंए की तरह उड़ाना सीखे.

ऐसा नहीं कि समस्याओं को धुंए की तरह उड़ाने वालें लोग पैदा न हुए हों, निश्चित रूप से ऐसे अनेकों लोग पैदा हुए हैं, हैं और पैदा होंगे. फिर आप भी उनमें से एक क्यों नहीं बनते हैं, यही तो सोचने कि बात है. हम आपके अंदर ऐसा उत्साह, ऐसी भावना ही तो भरना चाहते हैं.

कोई भी समस्या आए तो धैर्य नहीं खोना चाहिए. समस्या के बारे में, एक-दो बार धैर्य पूर्वक सोचना चाहिए. चक्रवात में फँसा आदमी अगर कुछ पल के लिए आँख बंद करके बैठ जाए तो कुछ पल बाद उसे स्वयं ही समाधान नज़र आने लगता है. और वास्तव में अगर आप प्रतिभा के धनी हैं तो आप स्वयमेव ही परम समाधान ढूंढ लेंगे.

यूँ तो जीवन का क्षेत्र बहुत विशाल है, फिर भी हम उनमें से प्रथम चरण में कुछ को ले रहे हैं. हमारी व्यवस्था पूर्ण रूपेण गोपनीय और सुरक्षित होगी. आपको कोई भी उलजलूल मेल/ विज्ञापन का सामना न करना पड़ेगा. हम ऐसा समाधान देगें कि इससे बेहतर आपने अभी तक देखा न होगा. यह न भूले कि यह तभी संभव होगा जब आप इसे अपनापन देगें और बेहतरीन बनाने में अपना उत्तरदायित्व भी निभाएगें. हम प्रारम्भ कर रहे हैं, संकट मोचन सेवा:

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